आज का पंचांग 10 फरवरी 2025

10 फरवरी 2025 आज का पंचांग
पंचांग एक हिंदू कैलेंडर है जो तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण के आधार पर शुभ व अशुभ समय बताता है। यह सूर्य और चंद्रमा की स्थिति को ध्यान में रखकर दिन की योजना बनाने में मदद करता है, जिससे धार्मिक और शुभ कार्यों के लिए सही समय चुना जा सके।
विक्रम संवत – पिंगला 2081, माघ 12
भारतीय सिविल कैलेंडर – 1946, माघ 21
पूर्णिमांत माह – 2081, माघ 28
अमान्त माह – 2081, माघ 12
तिथि
- शुक्ल पक्ष त्रयोदशी – 09 फरवरी 07:25 PM से 10 फरवरी 06:57 PM तक
- शुक्ल पक्ष चतुर्दशी – 10 फरवरी 06:57 PM से 11 फरवरी 06:55 PM तक
नक्षत्र
- पुनर्वसू – 09 फरवरी 05:53 PM से 10 फरवरी 06:00 PM तक
- पुष्य – 10 फरवरी 06:00 PM से 11 फरवरी 06:34 PM तक
करण
- तैतिल – 10 फरवरी 07:08 AM से 10 फरवरी 06:57 PM तक
- गर – 10 फरवरी 06:57 PM से 11 फरवरी 06:53 AM तक
- वणिज – 11 फरवरी 06:53 AM से 11 फरवरी 06:55 PM तक
योग
- पृथ्वी – 09 फरवरी 12:06 PM से 10 फरवरी 10:26 AM तक
- आयुष्मान – 10 फरवरी 10:26 AM से 11 फरवरी 09:05 AM तक
वार
- सोमवार
पर्व एवं व्रत
- विश्वकर्मा जयंती
सूर्य और चंद्र समय
- सूर्योदय – 07:18 AM
- सूर्यास्त – 06:28 PM
- चंद्रोदय – 10 फरवरी 04:29 PM
- चंद्रास्त – 11 फरवरी 06:26 AM
अशुभ समय
- राहु काल – 08:42 AM से 10:06 AM तक
- यमगंड काल – 11:30 AM से 12:53 PM तक
- गुलिक काल – 02:17 PM से 03:41 PM तक
- दुर्मुहूर्त – 01:16 PM से 02:00 PM, 03:30 PM से 04:14 PM तक
- वर्ज्य काल – 05:57 AM से 07:33 AM, 02:11 AM से 03:49 AM तक
शुभ समय
- अभिजीत मुहूर्त – 12:31 PM से 01:16 PM तक
- अमृत काल – 03:34 PM से 05:10 PM तक
- ब्रह्म मुहूर्त – 05:41 AM से 06:29 AM तक
आनंददी योग
- धूम्र – 10 फरवरी 06:00 PM तक
- घाठा योग
सूर्य और चंद्र राशियाँ
- सूर्य राशि – मकर
- चंद्र राशि – मिथुन में 10 फरवरी 11:56 AM तक, फिर कर्क राशि में
चंद्र मास
- अमान्त – माघ
- पूर्णिमांत – माघ
शक संवत (राष्ट्रीय कैलेंडर)
- माघ 21, 1946
ऋतु
- वैदिक ऋतु – शिशिर (शीत ऋतु)
- द्रिक ऋतु – शिशिर (शीत ऋतु)
- शैव धर्म ऋतु – मोक्ष
तमिल योग
- मराण – 10 फरवरी 06:00 PM तक
- सिद्ध योग
चंद्राष्टमा
- विशाखा अंतिम 1 चरण, अनुराधा, ज्येष्ठा
अन्य जानकारी
- अग्निवास – पृथ्वी (भूमि) 06:57 PM तक, फिर आकाश (स्वर्ग)
- चंद्र वास – पश्चिम 11:56 AM तक, फिर उत्तर
- दिशा शूल – पूर्व
- राहुकाल वास – उत्तर-पश्चिम