आज का पंचांग 24 फरवरी 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार, विक्रम संवत 2081 और शक संवत 1946 में, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी और त्रयोदशी तिथियाँ विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व रखती हैं। इस अवधि में, विभिन्न योग, करण, नक्षत्र, और व्रतों का संयोग होता है, जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
पंचांग 24 फरवरी 2025
तिथियाँ और उनके समय:
कृष्ण पक्ष द्वादशी: 23 फरवरी दोपहर 1:45 बजे से 24 फरवरी दोपहर 12:47 बजे तक।
कृष्ण पक्ष त्रयोदशी: 25 फरवरी दोपहर 12:47 बजे से 26 फरवरी सुबह 11:08 बजे तक।
नक्षत्र:
उत्तराषाढ़ा: 23 फरवरी शाम 6:59 बजे से 24 फरवरी शाम 6:30 बजे तक।
श्रवण: 23 फरवरी शाम 6:30 बजे से 24 फरवरी शाम 5:23 बजे तक।
करण:
तैतिल: 24 फरवरी सुबह 1:22 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक।
गर: 24 फरवरी दोपहर 12:47 बजे से 25 फरवरी रात 12:03 बजे तक।
वणिज: 24 फरवरी रात 12:03 बजे से सुबह 11:08 बजे तक।
योग:
व्यातीपात: 23 फरवरी सुबह 10:05 बजे से 24 फरवरी सुबह 8:14 बजे तक।
वरीयान: 24 फरवरी सुबह 8:14 बजे से 25 फरवरी सुबह 5:50 बजे तक।
परिघ: 24 फरवरी सुबह 5:50 बजे से 25 फरवरी सुबह 2:57 बजे तक।
वार: सोमवार
त्यौहार और व्रत:
भौम प्रदोष व्रत: मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत, जिसे भौम प्रदोष कहा जाता है, विशेष रूप से मंगल ग्रह के दोषों को शांत करने और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है।
सूर्य और चंद्रमा का समय:
सूर्योदय: सुबह 6:55 बजे
सूर्यास्त: शाम 6:24 बजे
चंद्रोदय: 24 फरवरी सुबह 4:51 बजे
चंद्रास्त: 24 फरवरी दोपहर 3:44 बजे
अशुभ काल:
राहु काल: दोपहर 3:31 बजे से 4:58 बजे तक।
यम गण्ड: सुबह 9:47 बजे से 11:13 बजे तक।
कुलिक: दोपहर 12:39 बजे से 2:05 बजे तक।
दुर्मुहूर्त: सुबह 9:13 बजे से 9:59 बजे तक, और रात 11:24 बजे से 12:14 बजे तक।
वर्ज्यम्: रात 10:19 बजे से 11:50 बजे तक।
शुभ काल:
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:16 बजे से 1:02 बजे तक।
अमृत काल: दोपहर 12:13 बजे से 1:47 बजे तक।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:18 बजे से 6:06 बजे तक।
आनन्दादि योग:
पद्म: रात 8:02 बजे तक।
लुम्ब: इसके बाद।
सूर्य और चंद्रमा की स्थिति:
सूर्य राशि: सूर्य कुंभ राशि में स्थित है।
चंद्र राशि: चंद्रमा मकर राशि में संचार करेगा (पूरा दिन-रात)।
चंद्र मास:
अमांत: माघ
पूर्णिमांत: फाल्गुन
शक संवत (राष्ट्रीय कैलेंडर): फाल्गुन 6, 1946
वैदिक ऋतु: शिशिर
द्रिक ऋतु: वसंत
शुभ योग:
त्रिपुष्कर योग: 24 फरवरी सुबह 6:55 बजे से दोपहर 12:47 बजे तक (उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, मंगलवार, और कृष्ण द्वादशी का संयोग)।
चंद्राष्टमा:
मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, आर्द्रा, पुनर्वसु के पहले तीन चरण।
इस अवधि में, भक्तजन विशेष व्रतों का पालन कर सकते हैं और शुभ मुहूर्तों में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर सकते हैं। अशुभ काल में महत्वपूर्ण कार्यों से बचना उचित होता है। सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों के अनुसार, राशियों पर प्रभाव पड़ता है, जिसे ध्यान में रखते हुए ज्योतिषीय परामर्श लिया जा सकता है।