आज का पंचांग 25 फरवरी 2025 का पंचांग

भारतीय पंचांग के अनुसार, 25 फरवरी 2025, मंगलवार के दिन का विस्तृत ज्योतिषीय और धार्मिक विवरण निम्नलिखित है। इस दिन के शुभ और अशुभ योगों के आधार पर अपने दिनचर्या और धार्मिक अनुष्ठान की योजना बनाएं।
पंचांग विवरण
- विक्रम संवत – 2081, पिंगल
- शक संवत – 1946, क्रोधी
- पूर्णिमांत माह – फाल्गुन
- अमांत माह – माघ
तिथि (कृष्ण पक्ष)
- द्वादशी – 24 फरवरी 01:45 PM से 25 फरवरी 12:47 PM तक
- त्रयोदशी – 25 फरवरी 12:47 PM से 26 फरवरी 11:08 AM तक
नक्षत्र
- उत्तराषाढ़ा – 24 फरवरी 06:59 PM से 25 फरवरी 06:30 PM तक
- श्रवण – 25 फरवरी 06:30 PM से 26 फरवरी 05:23 PM तक
करण
- तैतिल – 25 फरवरी 01:22 AM से 12:47 PM तक
- गर – 25 फरवरी 12:47 PM से 26 फरवरी 12:03 AM तक
- वणिज – 26 फरवरी 12:03 AM से 11:08 AM तक
योग
- व्यातीपात – 24 फरवरी 10:05 AM से 25 फरवरी 08:14 AM तक
- वरीयान – 25 फरवरी 08:14 AM से 26 फरवरी 05:50 AM तक
- परिघ – 26 फरवरी 05:50 AM से 27 फरवरी 02:57 AM तक
वार
- मंगलवार
त्यौहार और व्रत
- भौम प्रदोष व्रत
- प्रदोष व्रत
सूर्य और चंद्रमा का समय
- सूर्योदय – 06:55 AM
- सूर्यास्त – 06:24 PM
- चन्द्रोदय – 25 फरवरी 04:51 AM
- चन्द्रास्त – 25 फरवरी 03:44 PM
अशुभ काल (इस समय महत्वपूर्ण कार्य करने से बचें)
- राहु काल – 03:31 PM – 04:58 PM
- यम गण्ड – 09:47 AM – 11:13 AM
- कुलिक – 12:39 PM – 02:05 PM
- दुर्मुहूर्त – 09:13 AM – 09:59 AM, 11:24 PM – 12:14 AM
- वर्ज्यम् – 10:19 PM – 11:50 PM
शुभ मुहूर्त (महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ समय)
- अभिजीत मुहूर्त – 12:16 PM – 01:02 PM
- अमृत काल – 12:13 PM – 01:47 PM
- ब्रह्म मुहूर्त – 05:18 AM – 06:06 AM
आनन्दादि योग
- पद्म – 08:02 PM तक
- लुम्ब
ग्रह स्थिति
- सूर्य राशि – कुंभ
- चंद्र राशि – मकर (पूरा दिन और रात)
- वैदिक ऋतु – शिशिर
- द्रिक ऋतु – वसंत
विशेष योग और चंद्राष्टम
- त्रिपुष्कर योग – 25 फरवरी 06:55 AM से 12:47 PM तक (उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, मंगलवार और कृष्ण द्वादशी के संयोग में)
- चंद्राष्टम – मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम 2 चरण, आर्द्रा, पुनर्वसु के पहले 3 चरण के जातकों के लिए विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।
निष्कर्ष
25 फरवरी 2025 को भौम प्रदोष व्रत और त्रयोदशी तिथि होने के कारण यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, जो शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी होता है। शुभ मुहूर्त का ध्यान रखकर कार्य करने से लाभ मिलेगा, वहीं अशुभ काल में महत्वपूर्ण कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है।