9 अप्रैल 2025 बुधवार का पंचांग बुध के दिन का महत्व और गंडमूल का प्रभाव

9 अप्रैल 2025 बुधवार  का पंचांग: बुध के दिन का महत्व और गंडमूल का प्रभाव

9 अप्रैल 2025 बुधवार  का पंचांग: बुध के दिन का महत्व और गंडमूल का प्रभाव

9 अप्रैल 2025 बुधवार का पंचांग बुध के दिन का महत्व और गंडमूल का प्रभाव

आज का पंचांग 9 अप्रैल 2025 बुधवार

9 अप्रैल 2025, बुधवार का दिन ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। एक ओर यह दिन शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि में शुरू होता है और रात्रि में त्रयोदशी तिथि में प्रवेश करता है, वहीं दूसरी ओर मघा नक्षत्र का अंतिम चरण और पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र का प्रारंभ — इसे गंडमूल दोष और शुभ योग दोनों का संगम बनाता है।

यह दिन ग्रहों की शांति, वाणी की साधना, और नकारात्मक ऊर्जा के निवारण हेतु विशेष रूप से उपयुक्त माना गया है। आइए जानते हैं इस दिन का संपूर्ण पंचांग, शुभ-अशुभ मुहूर्त, और ज्योतिषीय प्रभाव।

पंचांग विवरण – 9 अप्रैल 2025, बुधवार

विक्रम संवत – 2082, कालयुक्त
शक संवत – 1947, विश्वावसु
पूर्णिमांत मास – चैत्र
अमांत मास – चैत्र
ऋतु – वसंत (वैदिक और द्रिक दोनों)

तिथि एवं नक्षत्र

तिथि:

  • शुक्ल पक्ष द्वादशी – 8 अप्रैल, 09:13 PM से 9 अप्रैल, 10:55 PM तक
  • शुक्ल पक्ष त्रयोदशी – 9 अप्रैल, 10:55 PM से 11 अप्रैल, 01:00 AM तक

नक्षत्र:

  • मघा – 8 अप्रैल, 07:55 AM से 9 अप्रैल, 09:57 AM तक
  • पूर्व फाल्गुनी – 9 अप्रैल, 09:57 AM से 10 अप्रैल, 12:24 PM तक

गंडमूल नक्षत्र:

  • मघा नक्षत्र 9 अप्रैल, सुबह 9:57 तक सक्रिय रहेगा।
  • इस समय में जन्म लेने वाले जातकों के लिए गंडमूल दोष शांति अनुष्ठान करना आवश्यक माना गया है।

करण और योग

करण:

  • बव – 8 अप्रैल, 09:13 PM से 9 अप्रैल, 10:01 AM तक
  • बालव – 9 अप्रैल, 10:01 AM से 10:55 PM तक
  • कौलव – 9 अप्रैल, 10:56 PM से 10 अप्रैल, 11:56 AM तक

योग:

  • गण्ड – 8 अप्रैल, 06:10 PM से 9 अप्रैल, 06:25 PM तक
  • वृद्धि – 9 अप्रैल, 06:25 PM से 10 अप्रैल, 06:58 PM तक

आनन्दादि योग:

  • चर योग – सुबह 09:57 AM तक
  • इसके बाद सुस्थिर योग प्रारंभ होता है, जो स्थायित्व और लाभ के कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

सूर्य और चंद्रमा की स्थिति

सूर्योदय – 06:15 AM
सूर्यास्त – 06:41 PM
चंद्र उदय – 03:50 PM
चंद्रास्त – 10 अप्रैल, 04:36 AM

सूर्य राशि – मीन
चंद्र राशि – सिंह (पूरा दिन और रात्रि)

शुभ और अशुभ मुहूर्त

शुभ समय:

  • ब्रह्म मुहूर्त – 04:38 AM से 05:26 AM
  • अमृत काल – दो बार:
    • 05:20 AM से 07:06 AM
    • 07:35 AM से 09:19 AM

अभिजीत मुहूर्त:

  • इस दिन उपलब्ध नहीं है

अशुभ समय:

  • राहुकाल – 12:28 PM से 02:01 PM
  • यमगण्ड – 07:48 AM से 09:21 AM
  • गुलिक काल – 10:55 AM से 12:28 PM
  • दुर्मुहूर्त – 12:03 PM से 12:53 PM
  • वर्ज्यम् काल – 06:46 PM से 08:32 PM

चंद्रमा और राशि विशेष

चंद्र राशि:

  • चंद्रमा पूरे दिन सिंह राशि में संचार करेगा।
  • सिंह राशि में चंद्रमा आत्मविश्वास, नेतृत्व, और दृढ़ता का प्रतीक होता है। यह समय कला, अभिनय, और रचनात्मक कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।

चंद्राष्टम योग:

  • उत्तराषाढ़ा (अंतिम तीन चरण), श्रवण, और धनिष्ठा (प्रथम दो चरण) – इन नक्षत्रों में जन्मे जातकों के लिए यह दिन चंद्राष्टम होता है। इस समय मानसिक बेचैनी या असमंजस का अनुभव हो सकता है।

ज्योतिषीय सुझाव

  1. गंडमूल दोष निवारण:
    प्रातः 9:57 AM तक मघा नक्षत्र गंडमूल के अंतर्गत आता है। इस समय जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए गंडमूल शांति पूजा अनिवार्य मानी जाती है।
  2. वाणी पर नियंत्रण:
    बुधवार और सिंह चंद्रमा का योग मिलकर संवाद में प्रभावशीलता लाते हैं, किंतु वाणी की तीव्रता से बचना चाहिए।
  3. कार्य आरंभ हेतु शुभ समय:
    09:57 AM के बाद सुस्थिर योग प्रारंभ होता है, जो व्यापार, स्थायी निवेश, भवन प्रवेश या स्थायी कार्यों के आरंभ के लिए शुभ है।
  4. चंद्रमा और बुद्धि का संबंध:
    चंद्रमा का सिंह में होना और दिन का बुध से संबंध — यह दिन बौद्धिक कार्यों, योजना निर्माण और रचनात्मक गतिविधियों के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

क्या करें और क्या न करें

क्या करें:

  • चंद्रमा की स्थिति अनुसार, आत्म-विश्वास से जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता दें।
  • मघा नक्षत्र में जन्म लेने पर गंडमूल शांति जरूर कराएं।
  • सुस्थिर योग के समय स्थायी निर्णय लें।

क्या न करें:

  • राहुकाल और वर्ज्यम् काल में कोई भी शुभ कार्य या यात्रा न करें।
  • दुर्मुहूर्त में महत्वपूर्ण निर्णयों से बचें।
  • अधिक दिखावा या अहंकार से युक्त व्यवहार से परहेज करें — सिंह राशि का चंद्रमा इसकी प्रवृत्ति को बढ़ा सकता है।

निष्कर्ष

9 अप्रैल 2025 का दिन ध्यान, स्थायित्व और वाणी साधना के लिए अत्यंत लाभकारी है। गंडमूल दोष के कारण कुछ विशेष सावधानियों की आवश्यकता अवश्य है, किंतु दिन के उत्तरार्ध में शुभ योगों का निर्माण कार्यों की सफलता को सुनिश्चित करता है।बुद्धवार का यह दिन विचार, विवेक और व्यवहार में संतुलन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है, जिसे यदि सही ढंग से उपयोग किया जाए तो यह दिन सफलता और संतुलन दोनों प्रदान कर सकता है।