15 मार्च गणगौर व्रत 2025 सुहागन महिलाओं का पावन पर्व एवं पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त

15 मार्च गणगौर व्रत 2025: सुहागन महिलाओं का पावन पर्व एवं पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त

15 मार्च गणगौर व्रत 2025: सुहागन महिलाओं का पावन पर्व एवं पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त

15 मार्च गणगौर व्रत 2025 सुहागन महिलाओं का पावन पर्व एवं पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त

आज का पंचांग 15 मार्च 2025 शनिवार

गणगौर व्रत हिंदू धर्म में सुहागन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं द्वारा किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। इस दिन महिलाएँ माँ गौरी (पार्वती) और भगवान शिव की पूजा करती हैं ताकि उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त हो।

इस लेख में हम आपको 15 मार्च 2025 से प्रारंभ होने वाले गणगौर व्रत से जुड़ी जानकारी, शुभ मुहूर्त, पंचांग और अन्य महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में बताएंगे।

विक्रम संवत और शक संवत

विक्रम संवत: 2082, कालयुक्त

शक संवत: 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत मास: चैत्र

अमांत मास: फाल्गुन

तिथि एवं शुभ समय

 कृष्ण पक्ष प्रतिपदा: 14 मार्च, 12:24 PM से 15 मार्च, 02:33 PM तक
कृष्ण पक्ष द्वितीया: 15 मार्च, 02:33 PM से 16 मार्च, 04:58 PM तक

नक्षत्र और करण

 नक्षत्र:

उत्तर फाल्गुनी – 14 मार्च, 06:19 AM से 15 मार्च, 08:54 AM तक

हस्त – 15 मार्च, 08:54 AM से 16 मार्च, 11:45 AM तक

करण:

कौलव – 15 मार्च, 01:26 AM से 15 मार्च, 02:33 PM तक

तैतिल – 15 मार्च, 02:33 PM से 16 मार्च, 03:44 AM तक

गर – 16 मार्च, 03:44 AM से 16 मार्च, 04:58 PM तक

योग

गण्ड योग – 14 मार्च, 01:23 PM से 15 मार्च, 01:59 PM तक
वृद्धि योग – 15 मार्च, 01:59 PM से 16 मार्च, 02:48 PM तक

प्रमुख व्रत एवं त्योहार

गणगौर व्रत प्रारंभ – 15 मार्च 2025

गणगौर व्रत चैत्र मास की कृष्ण पक्ष द्वितीया से आरंभ होकर शुक्ल पक्ष की तृतीया तक चलता है। इस दौरान महिलाएँ सोलह दिन तक माँ गौरी की आराधना करती हैं और अंतिम दिन धूमधाम से गणगौर विसर्जन किया जाता है।

सूर्य और चंद्रमा की स्थिति

सूर्योदय: 06:39 AM
सूर्यास्त: 06:32 PM
चंद्रोदय: 15 मार्च, 07:34 PM
चंद्रास्त: 16 मार्च, 07:32 AM

अशुभ काल (इन समयों में शुभ कार्य न करें)

 राहु काल: 09:37 AM – 11:06 AM
यम गण्ड: 02:04 PM – 03:33 PM
गुलिक काल: 06:39 AM – 08:08 AM
दुर्मुहूर्त: 08:14 AM – 09:01 AM
वर्ज्यम्: 06:18 PM – 08:05 PM

शुभ मुहूर्त (सकारात्मक कार्यों के लिए उत्तम समय)

अभिजीत मुहूर्त: 12:12 PM – 12:59 PM
अमृत काल: 05:02 AM – 06:49 AM
ब्रह्म मुहूर्त: 05:02 AM – 05:50 AM

सूर्य और चंद्र राशि परिवर्तन

सूर्य: मीन राशि में संचार करेगा।

चंद्रमा: कन्या राशि में संचार करेगा।

गणगौर व्रत की महिमा और पूजन विधि

गणगौर व्रत का महत्व
गणगौर व्रत विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ माँ गौरी और भगवान शिव की पूजा करती हैं और अच्छे पति एवं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

गणगौर पूजा विधि
इस दिन प्रातः स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
माँ गौरी और ईसर (शिव) की मिट्टी से मूर्ति बनाएं या उनकी प्रतिमा को सजाएं।
सुहागिन महिलाएँ 16 श्रृंगार करके पूजा करती हैं।
कुंवारी कन्याएँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
गणगौर माता को गुड़, चना, गेहूं के अंकुर, और फूल अर्पित करें।
कथा सुनें और “गणगौर माता की जय!” के जयकारे लगाएं।
व्रत के अंतिम दिन जलाशय में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।

इस व्रत में क्या करें और क्या न करें?

क्या करें?
माँ गौरी की उपासना पूरी श्रद्धा से करें।
व्रत नियमों का पालन करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
जरूरतमंद महिलाओं को सुहाग सामग्री दान करें।
शादीशुदा जोड़े इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करें।

क्या न करें?
व्रत के दौरान तामसिक भोजन (मांस, लहसुन, प्याज) से परहेज करें।
व्रत में किसी का अनादर या अपमान न करें।
घर में कलह और नकारात्मक विचारों से बचें।

गणगौर पर्व का सांस्कृतिक महत्व

गणगौर पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन विभिन्न राज्यों में शोभा यात्रा, लोकगीत, पारंपरिक नृत्य और मेहंदी रचाने जैसी कई गतिविधियाँ होती हैं।

राजस्थान में इस दिन विशेष रूप से गोर गोर गोमती, गणगौर माता… जैसे लोकगीत गाए जाते हैं।

गणगौर व्रत की हार्दिक शुभकामनाएँ!

यह पावन व्रत सभी महिलाओं को अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्रदान करे!

 “गणगौर माता की जय!”


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