8 अप्रैल 2025 मंगलवार का पंचांग: कामदा एकादशी व गंडमूल नक्षत्र में ज्योतिषीय विशेषताएँ

आज का पंचांग 8 अप्रैल 2025 मंगलवार
8 अप्रैल 2025, मंगलवार का दिन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। यह दिन कामदा एकादशी जैसे पुण्य व्रत का पर्व है, वहीं दूसरी ओर, दिन के पूर्वार्द्ध में गंडमूल नक्षत्र आश्लेषा और उसके बाद मघा नक्षत्र का प्रभाव, विशेष ज्योतिषीय सावधानियों की ओर संकेत करता है। साथ ही चंद्रमा का कर्क से सिंह राशि में गोचर, और मंगलवार का प्रभाव इसे आध्यात्मिक साधना और आत्मचिंतन का उत्तम अवसर बनाते हैं।
पंचांग विवरण – 8 अप्रैल 2025, मंगलवार
विक्रम संवत – 2082, कालयुक्त
शक संवत – 1947, विश्वावसु
पूर्णिमांत मास – चैत्र
अमांत मास – चैत्र
ऋतु – वसंत (वैदिक व द्रिक दोनों)
तिथि एवं नक्षत्र
तिथि:
- शुक्ल पक्ष एकादशी – 7 अप्रैल, 08:00 PM से 8 अप्रैल, 09:13 PM तक
- शुक्ल पक्ष द्वादशी – 8 अप्रैल, 09:13 PM से 9 अप्रैल, 10:55 PM तक
नक्षत्र:
- आश्लेषा – 7 अप्रैल, 06:24 AM से 8 अप्रैल, 07:55 AM तक
- मघा – 8 अप्रैल, 07:55 AM से 9 अप्रैल, 09:57 AM तक
गंडमूल नक्षत्र:
- आश्लेषा और मघा दोनों ही गंडमूल श्रेणी में आते हैं।
- इस दिन जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए विशेष शांति पूजन और ग्रह शांति आवश्यक माने जाते हैं।
करण और योग
करण:
- वणिज – 7 अप्रैल, 08:00 PM से 8 अप्रैल, 08:32 AM तक
- विष्टि (भद्र) – 8 अप्रैल, 08:32 AM से 8 अप्रैल, 09:13 PM तक
- बव – 8 अप्रैल, 09:13 PM से 9 अप्रैल, 10:01 AM तक
योग:
- शूल – 7 अप्रैल, 06:18 PM से 8 अप्रैल, 06:10 PM तक
- गण्ड – 8 अप्रैल, 06:10 PM से 9 अप्रैल, 06:25 PM तक
आनन्दादि योग:
- आनंद – 7:55 AM तक
- कालदण्ड – इसके बाद
ग्रहों की स्थिति
सूर्योदय – 06:16 AM
सूर्यास्त – 06:41 PM
चंद्र उदय – 02:57 PM
चंद्रास्त – 04:06 AM (9 अप्रैल)
सूर्य राशि – मीन
चंद्र राशि –
- 7:55 AM तक – कर्क
- 7:55 AM के बाद – सिंह
शुभ और अशुभ समय
शुभ काल:
- अभिजीत मुहूर्त – 12:03 PM से 12:53 PM
- अमृत काल – 05:29 AM से 07:11 AM
- ब्रह्म मुहूर्त – 04:39 AM से 05:27 AM
- सर्वार्थसिद्धि योग – 06:16 AM से 07:55 AM (आश्लेषा + मंगलवार)
अशुभ काल:
- राहु काल – 03:34 PM से 05:07 PM
- यमगण्ड – 09:22 AM से 10:55 AM
- गुलिक काल – 12:28 PM से 02:01 PM
- दुर्मुहूर्त – 08:45 AM से 09:34 AM, और रात्रि में 11:18 PM से 12:05 AM
- वर्ज्यम् – 08:56 PM से 10:40 PM
व्रत व पर्व: कामदा एकादशी
कामदा एकादशी विशेष रूप से व्रत और मोक्ष की दृष्टि से पूजनीय मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
- व्रत का प्रारंभ: सूर्योदय से
- पारण: 9 अप्रैल को प्रातः निर्धारित समयानुसार
- यह व्रत संतान प्राप्ति, भय नाश और कामनाओं की पूर्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
ज्योतिषीय विशेषताएँ
1. गंडमूल नक्षत्रों का प्रभाव
इस दिन आश्लेषा और मघा दोनों ही गंडमूल नक्षत्र प्रभावी हैं। यदि किसी शिशु का जन्म इन नक्षत्रों में हो, तो शांति विधि आवश्यक मानी जाती है। विशेष रूप से मघा नक्षत्र में जन्म लेने पर पितृ दोष शांति और पूजा का विधान होता है।
2. चंद्रमा का सिंह राशि में प्रवेश
सिंह राशि में चंद्रमा का गोचर आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाता है, किंतु अहंकार की अधिकता से बचना चाहिए।
3. सर्वार्थसिद्धि योग (सुबह 07:55 AM तक)
यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है और इसका उपयोग व्यापारिक निर्णय, यात्रा प्रारंभ, खरीदारी और नया काम शुरू करने के लिए उत्तम है।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
- कामदा एकादशी व्रत रखें और भगवान विष्णु का पूजन करें।
- सर्वार्थसिद्धि योग के दौरान कोई नया कार्य प्रारंभ करें।
- चंद्रमा की स्थितियों के अनुरूप ध्यान, ध्यान केंद्रित कार्य, और मानसिक शांति हेतु जप करें।
- यदि किसी का जन्म इस दिन हुआ हो, तो गंडमूल शांति अनुष्ठान कराएं।
क्या न करें:
- राहु काल और दुर्मुहूर्त में शुभ कार्य से परहेज करें।
- भद्र काल (विष्टि करण) में मांगलिक कार्य न करें।
- अहंकार या जल्दबाजी से कोई बड़ा निर्णय न लें – सिंह राशि का प्रभाव इसे बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
8 अप्रैल 2025 का दिन एक ओर कामदा एकादशी व्रत की पुण्यभावना से युक्त है, वहीं दूसरी ओर गंडमूल नक्षत्रों के संयोग के कारण धार्मिक सावधानी और ज्योतिषीय समझदारी की भी मांग करता है। इस दिन किए गए उपवास, ध्यान और पूजा व्यक्ति को न केवल आत्मिक शुद्धि की ओर ले जाते हैं, बल्कि ग्रह दोषों की शांति में भी सहायक होते हैं।
अतः यह दिन आत्मनिरीक्षण, भक्ति, और मानसिक स्थिरता के लिए उपयुक्त अवसर प्रदान करता है।
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