जया एकादशी 08 फरवरी 2025: तिथि, पारण समय, पूजा अनुष्ठान और महत्व

इस दिन को जया एकादशी कहा जाता है, यह भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक शुभ दिन है और वैष्णव धर्म में इसे सबसे अधिक पूजनीय दिनों में से एक माना जाता है। जया एकादशी हिंदू चंद्र कैलेंडर में माघ महीने के दौरान ग्यारहवें चंद्रग्रहण पर शुक्ल पक्ष की एकादशी के अगले दिन पड़ती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, जया एकादशी 2025 8 फरवरी को है। माना जाता है कि इस दिन के लाभ एक भक्त को काफी आशीर्वाद देते हैं और इस प्रकार उसे सभी पापों से मुक्त करते हैं। आइए जया एकादशी की तिथि, पारण समय, पूजा अनुष्ठान और दार्शनिक महत्व के बारे में विस्तार से जानें।
जया एकादशी 2025 तिथि: 8 फरवरी, 2025
तिथि और समय:
पारण समय:
पारण वे अनुष्ठान हैं जिनमें एकादशी के अगले दिन यानी द्वादशी को व्रत तोड़ना शामिल है। व्रत का पालन करना और व्रत को ठीक से तोड़ना आवश्यक है ताकि इसके सभी लाभ प्राप्त हो सकें। पारण का समय सूर्योदय से द्वादशी को माना जाता है।
जय एकादशी का महत्व:
जय एकादशी आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली दिन है। भक्तों का मानना है कि इस दिन ईमानदारी से उपवास करने से:
पापों से मुक्ति मिलती है: ऐसा कहा जाता है कि पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग खुलता है।
आशीर्वाद देता है: ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्रचुर मात्रा में होता है, और इस प्रकार, समृद्धि, खुशी और सौभाग्य प्राप्त होता है।
विजय देता है: ‘जय’ का अर्थ है विजय। माना जाता है कि यह व्रत विजय के मार्ग में बाहरी बाधाओं को दूर करने में भक्तों की शक्ति को बढ़ाता है।
आध्यात्मिक विकास: इसलिए माना जाता है कि जया एकादशी उपवास और भक्ति अभ्यास करते समय भगवान विष्णु के प्रति आध्यात्मिक विकास को बढ़ाती है।
पूजा अनुष्ठान:
तैयारी: एकादशी (दशमी) से एक दिन पहले, भक्तों को केवल सात्विक भोजन (प्याज और लहसुन के बिना शुद्ध शाकाहारी भोजन) खाना चाहिए और बिस्तर पर सोने से बचना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
उपवास: एकादशी पर दो तरह के उपवास रखे जाते हैं: एक तो बिना भोजन और पानी के पूर्ण उपवास। दूसरा फल और दूध के सेवन वाला उपवास।
देवता पूजा: घर की सफाई करें और भगवान विष्णु की छवि या मूर्ति के साथ एक वेदी तैयार करें।
अर्पण: भगवान विष्णु को फूल, धूप, दीप और फल चढ़ाएं।
मंत्रों का जाप: भक्ति के साथ विष्णु मंत्रों, विशेष रूप से “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
शास्त्र पढ़ना: एकादशी से संबंधित कहानियों और शास्त्रों को पढ़ें या सुनें, विशेष रूप से जया एकादशी कथा।
जागना: रात भर जागना शुभ माना जाता है, भजन और कीर्तन जैसे भक्तिपूर्ण अभ्यासों में संलग्न होना।
उपवास तोड़ना: द्वादशी को पारण भगवान विष्णु की प्रार्थना के बाद निर्धारित पारण समय पर उपवास तोड़कर किया जाना चाहिए, उसके बाद सात्विक भोजन करके उपवास तोड़ना चाहिए।
जया एकादशी कथा:
यह कथा राजा इंद्रसेन के बारे में है, जिन्हें भूत बनने का श्राप मिला था। जया एकादशी के व्रत से उन्हें श्राप से मुक्ति मिली और उन्हें अपना राज्य वापस मिला। इस कथा को सुनना या पढ़ना जया एकादशी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
निष्कर्ष:
जया एकादशी भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बहुत ही शुभ दिन है। ईमानदारी से व्रत रखने से बहुत आध्यात्मिक गुण और आशीर्वाद मिलते हैं। व्रत के सटीक समय और पारण के समय के लिए अपने स्थानीय पंचांग को देखना न भूलें।